Sunday, September 30, 2012



and some beautiful words...

"सर  उठाके  मैंने  तो  कितनी  ख्वाहिशें  की थी
 कितने ख़्वाब देखे थे, कितनी कोशिशें की थी
 जब तू रुबरु आया , नज़रें ना मिला पाया
 सर झुका के एक पल में , मैंने क्या नाहीं पाया"

 -Arziyan (Delhi 6)

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