Monday, September 24, 2012

कदम एक कदम

गिरते हैं फ़नक से
उठते हैं
संभलते हैं
चलते हैं
कदम एक कदम

पहोचेंगे मंजिल पे
बैठेंगे साहिल संग

बरसते हैं आँखों से
छुपते हैं
मिटते  हैं
मुस्कुराते हैं
भीगे अनभीगे मन

बेरंग रंगों को  
रंगीन कर लेगा जीवन

झुंझते हैं कल से
लड़खड़ाते हैं
थकते  हैं
जीतते हैं
अरमां दबंग जंग

सफ़र की राहें हों
अपने अफसानों में मगन

चल मेरे संग
तोड़ लायें तारे चंद
अपना सा बीहड़ जो लगे
मेहकालें मंद मंद 

जिंदगी के नाम
जाम करे ऐसी तरंग
बिन तारों के अकेली
रात करे टम टम

काली चादर भी दे
सतरंगी का भ्रम
जुगनुओं से बुनें हम
उम्मिदों की पतंग

एक कोना चाँद का
जिसपे हो मेरा ही रंग
एक टुकड़ा आसमान का
एक मुठ्ठी भुवन

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