तू जब आकाश की ओर चली थी...
बादल गरजे थे...
बहुत वेग से हुआ था शोर...
क्या तेरे स्वागत के मृदंग थे?
तेरको पाने से क्या वो भी,
हुआ था भाव विभोर?
या तेरे मेरे बिछड़ने से,
उसके भी देश तूफान उठा था?
भीगे थे उसके भी दिल के छोर?
खुशी के फूल बरसाए थे?
या तेरे मेरे दिल की चीर,
भेद गई थी उसके भी हृदय के पोर?
बादल गरजे थे...
बहुत वेग से हुआ था शोर...
क्या तेरे स्वागत के मृदंग थे?
तेरको पाने से क्या वो भी,
हुआ था भाव विभोर?
या तेरे मेरे बिछड़ने से,
उसके भी देश तूफान उठा था?
भीगे थे उसके भी दिल के छोर?
खुशी के फूल बरसाए थे?
या तेरे मेरे दिल की चीर,
भेद गई थी उसके भी हृदय के पोर?
No comments:
Post a Comment