Tuesday, October 3, 2017

एक वादा

फिर भी एक वादा कर बैठी हुं तुझसे,
जीना सीख लुंगी माँ...
अपने रगों के दोड़ते खून में,
तुझे महसूस कर लुंगी माँ...
मेरे चेहरे की झलक तेरी परछाई है,
प्रतिबिम्ब में अपने तुझे निहार लुंगी माँ...
मेरी आवाज़ की फनक भी तुझसे चूराई है,
लोरियों से खुद ही, खुद को बेहला लुंगी माँ...
तू मेरे होने की वजह जो है माँ,
अपने वज़ूद में तुझे ढूंढ लुंगी माँ...
तुझे ढूंढ लुंगी...

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